हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa )का पाठ करने वाले भक्त हमारे मस्तिष्क को तो शांति देते ही हैं साथ ही हमें मानसिक और वास्तविक कठिनाइयों से भी मुक्ति दिलाते हैं।
हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa Lyrics ) का पाठ करने से हमारे भयानक विचार नष्ट हो जाते हैं और हमारे जीवन में शक्ति और धैर्य का भी संचार होता है।
Hanuman chalisa in hindi
हनुमान चालीसा हिंदी में
हनुमान चालीसा की रचना कब हुई थी?
इस घटना के समय भारत में मुगल शासक अकबर का दमनकारी शासन हो रहा था। असुरो के मानक की तरह ही सख्त लाडले और संतों को गलत तरीके से जेल में रखा जा रहा था और उन्हें सताया जा रहा था।
ऐसे ही एक समय में एक बार तुलसीदास जी मंदिर जा रहे थे कि एक महिला ने उनके चरण स्पर्श किये और सनातन मानव के अनुसार तुलसीदास जी ने उस महिला को सदा सुखी और सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद दिया।
यह सुनकर महिला फूट-फूट कर रोने लगी, पूछने पर महिला ने बताया कि उसका पति का देहांत हो गया है, मैं बड़ी उम्मीद से आपके पास आई हूं, आपको भगवान राम ने सम्मानित किया है, आपको मेरे पति को ठीक करना पड़ेगा ।
यह सुनकर तुलसीदास जी ने उस महिला का पक्ष लिया और उसे सलाह दी कि वह लगातार भगवान राम का नाम जपती रहे, उसके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। तुलसीदास जी के जाने के बाद, उस महिला ने यह बात अपने घर वालों को बताई और सभी लोग भगवान राम का नाम लेने लगे, संयोग से उस महिला का पति जीवित हो गई।
इससे पहले कि मुगल शासक अकबर तक यह खबर पहुँचती, उसके योद्धा गोस्वामी तुलसीदास को पकड़कर ले आए, और अकबर, जो नियमित रूप से सुरी है, ने अनुरोध किया कि वह चमत्कार करे। इस पर तुलसीदास जी ने विनम्र भाव से उत्तर दिया कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं है, यह केवल लूट के निमित्त एक अलौकिक घटना है।
यह सुनकर अकबर चिढ़ गया और उस तानाशाह ने तुलसीदास जी को कारागार में डालने का अत्याचारी अनुरोध किया। सिपाहियों ने तुलसीदास जी को जंजीरों में बांध दिया और तुलसीदास जी हंसते-हंसते राम का नाम लेते रहे और जेल चले गए।
आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस कारागार में तुलसीदास जी को रखा गया था, वहाँ बंदरों का आतंक शुरू हो गया और बंदरों ने वहाँ मौजूद योद्धाओं को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया। योद्धाओं ने समझ लिया था कि यह तुलसीदास जी के प्रताप के कारण हो रहा है, सैनिकों ने यह जानकारी अकबर तक पहुँचा दी और तुलसीदास जी को दृढ़ता से मुक्त किया जाना चाहिए।
वहाँ से जाने के बाद तुलसीदास जी हनुमान समर्पण में समरोहित हो गए और उन्होंने सर्वत्र पूजनीय 'हनुमान चालीसा' की रचना की, जो समस्त कष्टों से मुक्ति दिलाती है।
हनुमान
चालीसा का पाठ करने
के लाभ?
What are the benefits of reciting Hanuman Chalisa?
हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa )का पाठ करने के सबसे बड़े लाभ को पूरी दुनिया जानती है, अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के भय से परेशान है, चाहे वह शत्रु के प्रति चिंता हो, या निराशा, दुर्भाग्य या हानि या प्रेत के प्रति चिंता हो। हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
यदि आपके कार्य में कोई बाधा आ रही है तो आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें, कई तरह की परेशानियां और निवारण दूर होंगे। उत्साही, अद्भुत हनुमान चालीसा का पाठ करके, प्रत्येक पारकर की वास्तविक पीड़ा, बीमारी बंद हो जाती है, और इच्छाओं की एक विस्तृत श्रृंखला संतुष्ट हो जाती है।
हनुमान चालीसा लिरिक्स
Hanuman chalisa lyrics
॥ श्री हनुमान चालीसा ॥
॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥
शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४
आप इसे भी पड़े :-
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६
जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥
Shri
Hanuman Chalisa Lyrics in English
हनुमान चालीसा लिरिक्स हिंदी में
|| Doha ||
Shri
Guru Charan Saroj raj,
Nija
manu Mukura sudhari,
Baranau
Raghuvar Bimal Jasu,
Jo Dayaku
Phala Chari,
Budheeheen
Tanu Jannike ,
Sumiro
Pavan Kumara,
Bal
Buddhi Vidya Dehoo Mohee ,
Harahu
Kalesh Vikaar,
|| Chaupaii ||
Jai
Hanuman gyan gun sagar
Jai
Kapis tihun lok ujagar
Ram
doot atulit bal dhama
Anjani
putra Pavan sut nama
Mahabir
vikram Bajrangi
Kumati
nivar sumati Ke sangi
Kanchan
varan viraj subesa
Kanan
Kundal Kunchit Kesha
Hath
Vajra Aur Dhwaja Viraje
Kaandhe
moonj janeu saaje
Sankar
suvan kesri Nandan
Tej
prataap maha jag vandan
Vidyavaan
guni ati chatur
Ram kaj
karibe ko aatur
Prabhu
charitra sunibe ko rasiya
Ram
Lakhan Sita man Basiya
Sukshma
roop dhari Siyahi dikhava
Vikat
roop dhari lank jalava
Bhim
roop dhari asur sanhare
Ramachandra
ke kaj sanvare
Laye
Sanjivan Lakhan Jiyaye
Shri
Raghuvir Harashi ur laye
Raghupati
Kinhi bahut badai
Tum
mama priya Bharat-hi-sam bhai
Sahas
badan tumharo yash gaave
As kahi
Shripati kanth lagaave
Sankadhik
Brahmaadi Muneesa
Narad
Sarad sahit Aheesa
Yam
Kuber Dikpaal Jahan te
Kavi
kovid kahi sake kahan te
Tum
upkar Sugreevahin keenha
Ram
milaye rajpad deenha
Tumhro
mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar
Bhaye Sab jag jana
Yug
sahasra yojan par Bhanu
Leelyo
tahi madhur phal janu
Prabhu
mudrika meli mukh mahee
Jaladhi
langhi gaye achraj nahee
Durgam
kaj jagat ke jete
Sugam
anugraha tumhre tete
Ram
duwaare tum rakhvare
Hot na
agya binu paisare
Sab
sukh lahai tumhari sarna
Tum
rakshak kahu ko darna
Aapan
tej samharo aapai
Teenon
lok hank te kanpai
Bhoot
pisaach Nikat nahin aavai
Mahavir
jab naam sunavai
Nase
rog harae sab peera
Japat
nirantar Hanumat beera
Sankat
se Hanuman chhudavai
Man
Kram Vachan dhyan jo lavai
Sab par
Ram tapasvee raja
Tin ke
kaj sakal Tum saja
Aur
manorath jo koi lavai
Soi
amit jeevan phal pavai
Charon
jug partap tumhara
Hai
parsiddh jagat ujiyara
Sadhu
Sant ke tum Rakhware
Asur
nikandan Ram dulare
Ashta
siddhi nav nidhi ke data
As var
deen Janki mata
Ram
rasayan tumhare pasa
Sada
raho Raghupati ke dasa
Tumhare
bhajan Ram ko pavai
Janam
janam ke dukh bisraavai
Antkaal
Raghuvar pur jayee
Jahan
janam Hari Bhakt Kahayee
Aur
Devta Chitt na dharahin
Hanumat
sei sarv sukh karahin
Sankat
kate mite sab peera
Jo
sumirai Hanumat Balbeera
Jai Jai
Jai Hanuman Gosain
Kripa
Karahun Gurudev ki nayin
Jo shat
bar path kare koi
Chhutahin
bandi maha sukh hoi
Jo yeh
padhe Hanuman Chalisa
Hoye
siddhi saakhi Gaureesa
Tulsidas
sada hari chera
Keejai
Nath Hriday mahn dera
|| Doha ||
Pavan
Tanay Sankat Harana Mangala Murati Roop
Ram
Lakhan Sita Sahita Hriday Basahu Soor Bhoop
Significance Of Hanuman Chalisa
हनुमान चालीसा
का महत्व
हिंदी में
हमारी हनुमान चालीसा इस ग्रह पर सबसे अधिक प्रस्तुत की जाने वाली रचना है, जिसका अध्ययन करने से नावों, बाधाओं और तंत्र-मंत्रों की सापेक्ष भीड़ का पता चलता है। हनुमान चालीसा में हमारे आराध्य बजरंग बली के कार्यों और चमत्कारों के साथ-साथ उनकी शक्तियों और पाठों का भी वर्णन किया गया है।
तो आइए
जानते हैं
हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa ) का महत्व
:-
Hanuman
chalisa explained in hindi
|| ॐ श्री हनुमते नमः ||
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि |
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ||
अर्थ – स्वामी तुलसीदास जी कहते है की ,,
"श्री गुरु चरण सरोज राज " अर्थात हम श्री गुरु के चरणों जोकि सरोज अर्थात कमल के सामान है उनकी धुल से अपने मन को पवित्र बनाते हुए , रघुवर के निर्मल यश का वर्णन करते है , जिससे हर प्रकार के मनाचे फल की प्राप्ति होती है।
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार |
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ||
अर्थ – हे पवन पुत्र हनुमान , आप तो जानते ही है ,हम बुद्धिहीन और शरीर से निर्बल है , कृपा करके आप हम को शक्ति , बूढी और विद्या यानि ज्ञान प्रदान कीजिये।
चौपाइयां :-
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||
अर्थ – ज्ञान हे हनुमान , बजरंगब बली, आपकी जय हो, आप ज्ञान और गुणों के सागर है ,
हे कपीश , यानि वानरों के देवता , आपके प्रकाश से ही तीनो लोक यानि आकाश, धरती और पातळ उजागर हो रहे है, आपकी जय हो।
आप इसे भी पड़े :-
राम दूत अतुलित बल धामा |
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ||
अर्थ – हे आप ही श्री राम के सच्चे दूत है आप में उतना बल है की उनकी तुलना भी नहीं की जा सकती है। आपको अंजनी पुत्र और पवनसूत यानि पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है।
महाबीर बिक्रम बजरंगी |
कुमति निवार सुमति के संगी ||
अर्थ – हे हे बजरंग बली, आप महापराक्रमी , महा बलशाली है आप बुद्धि में आने वाले पाप और कुकर्म के विचारो को नष्ट करने वाले और अच्छे विचारो का साथ देने वाले है ,, आपको नमन करते है।
कंचन बरन बिराज सुबेसा |
कानन कुण्डल कुँचित केसा ||
अर्थ – हे स्वामी , आपकी देह यानि शरीर कंचन अर्थात स्वर्ण की भाँती कांतिमय है , और आपकी वेश भूषा अत्यंत सुन्दर है। आपकी कानो में कुण्डल है और आपके केश यानि बाल घुंघराले है।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै |
काँधे मूँज जनेउ साजै ||
अर्थ – हे महाबली आपके हाथो में वज्र और ध्वजा यानि दिव्या झंडा है और काँधे पर मूँज के जनेऊ बहुत सज रहे है।
संकर सुवन केसरी नंदन |
तेज प्रताप महा जग वंदन ||
अर्थ – आप शंकर जी अवतार और वानरों के राजा केसरी जी के पुत्र है, आपके शौर्य और प्रताप की वंदना पूरा संसार करता है।
बिद्यावान गुनी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर ||
अर्थ – आप हे बजरंगी , आप सभी विद्याओ ( योग , रसायन , शास्त्र , राजनीती
) में निपुण है।
आप सदैव श्री राम के कार्यो को करने में सबसे आगे रहते है.
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||
अर्थ – हे पवन[पुत्र, आप सदैव श्री राम की कथाओ को सुनने को आतुर रहते है।
आपके ह्रदय में श्री राम, माँ सीता और लक्षमण विराजमान रहते है
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा |
बिकट रूप धरि लंक जरावा ||
अर्थ – हे महावीर , आपने परिस्थति को देखते हुए मां सीता को अपना सूक्ष्म रूप यानि छोटा रूप दिखाया।
और समय आने पर विराट यानि विशाल रूप धार कर लंका को जला दिया।
भीम रूप धरि असुर सँहारे |
रामचन्द्र के काज सँवारे ||
अर्थ – हे मारुतिनंदन , युद्ध के समय आपने विराट रूप धरा और असुरो का संहार किया।
श्री राम के अनेको कार्यो को अकेले ही सफल कर दिया।
लाय सजीवन लखन जियाये |
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ||
अर्थ – प्रभु , आप ही संजीवनी बूटी लेकर आये, जिससे लक्ष्मण जी के प्राण बचे और इसप्रकार आप श्री राम की प्रसन्नता भी वापस ले आये।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
आप इसे भी पड़े :-
अर्थ – श्री राम आपके इस कार्य से इतना प्रसन्न हुए की उन्होंने आपकी बड़ाई करते हुए आपको भरत के समान अपना भाई मान लिया।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं |
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ||
अर्थ – हे हनुमान, आज हजारो शरीर आपके यश का गुणगान कर रहे है।
इतना कहते हुए श्री राम ने हनुमान जी को अपने गले से लगा लिया।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते |
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ||
अर्थ – हे बजरंग बली,चाहे वह यमराज हो , चाहे वो कुबेर हो, ये वो सभी दिशाओ के रक्षक ह।
चाहे को कवि हो या कोई विद्वान , कोई भी आपके यश और कीर्ति का समूर्ण वर्णन नहीं कर सकता।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
अर्थ – हे महाबली , आपने सुग्रीव जी पर बड़ा उपकार किया।
उन्हें श्री राम जी से मिलवाया , जिनकी सहायता सुग्रीव राजा बन गए।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना |
लंकेस्वर भए सब जग जाना ||
अर्थ – आपके समझाने पर विभीषण ने श्री राम का साथ दिया।
जबकि पूरा संसार रावण के डर को जानता है।
जुग सहस्र जोजन पर भानू |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
अर्थ – जो विशाल सूर्य असंख्य योजन की दूरी पर स्थित है।
उसे आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया था।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं |
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ||
अर्थ – अपनी शक्तियों का आभास होने पर आप अपने मुख में प्रभु श्री राम की मुद्रिका डालकर,
एक ही छलांग में आपने विशाल समुद्र को पार कर लिया था।
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
अर्थ – इस संसार में जितने भी मुश्किल कार्य है ,
वह आपकी प्रार्थना करने से आसान हो जाते है।
राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||
अर्थ – हे हनुमान जी , आप ही श्री राम के द्वार के रखवाले है ,
आपकी आज्ञा के बिना प्रभु के दर्शन असंभव है।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रच्छक काहू को डर ना ||
अर्थ – बजरंग बली, आपकी शरण में आने से सभी प्रकार के सुख प्राप्त हो जाते है ,
और यदि आप हमारे रक्षक है तो हम को किसी भी प्रकार का भय नहीं है।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
अर्थ – हे प्रभु , आपके तेज और वेग को आप ही संभाल सकते है ,
बाकी तीनो लोक तो आपकी एक हुंकार से ही काँप जाते है।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै |
महाबीर जब नाम सुनावै ||
अर्थ – सिर्फ महावीर बजरंग बली का नाम जपने से , भूत प्रेत और पिशाच जैसी बुरी शक्तियाँ निकट भी नहीं आती।
नासै रोग हरे सब पीरा |
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ||
आप इसे भी पड़े :-
अर्थ - जो भी वीर हनुमान का नाम जपता रहता है ,
बजरंग बली उसके सभी रोगो को को नष्ट कर देते है और उसकी सभी पीड़ाओं को भी हर लेते है।
संकट तें हनुमान छुड़ावै |
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ||
अर्थ – जो भी सच्चे मन , शुद्ध कर्म और वचन से महावीर का ध्यान लगाता है ,
महावीर हनुमान उसके सभी कष्टों को हर लेते है।
सब पर राम तपस्वी राजा |
तिन के काज सकल तुम साजा ||
अर्थ – सबसे श्रेष्ठ और तपस्वी राजा श्री राम ही है ,
जिनके सभी कार्यो को आपने ही सफल बनाया है।
और मनोरथ जो कोई लावै |
सोई अमित जीवन फल पावै ||
अर्थ – महाबली के पास जो कोई भी मनोरथ यानि कामना लेकर जाता है ,
पवनपुत्र उसकी वह मनोकामना अवश्य पूरी करते है।
चारों जुग परताप तुम्हारा |
है परसिद्ध जगत उजियारा ||
अर्थ – चारो युगो यानी सतयुग , त्रेता युग , द्वापर युग और कलयुग में आपका परताप है ,
और आपके दिव्य प्रकाश से समस्त संसार में उजाला है।
साधु सन्त के तुम रखवारे |
असुर निकन्दन राम दुलारे ||
अर्थ – हे बजरंग बली , धर्म के मार्ग पर चलने वाले साधू - संतो की रक्षा करते है ,
आप ही है जो असुरो को समाप्त करने वाले है और श्री राम के दुलारे है।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता |
अस बर दीन जानकी माता ||
अर्थ – जानकी माता यानि सीता माता ने आपको वरदान दिया है की ,
आप अष्ट यानि आठ सिद्धियों और नौ निधियों के दाता यानि निर्माण करने वाले है।
राम रसायन तुम्हरे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ||
अर्थ – हे प्रभु , आपके पास राम रसायन की विद्या है ,
आप सदा ही रघुपति यानि श्री राम के सेवक बने रहे।
तुम्हरे भजन राम को पावै |
जनम जनम के दुख बिसरावै ||
अर्थ – आपके भजन करके भी हम श्री राम को पा सकते है ,
जिससे हम जन्म जन्मांतर के दुखो से मुक्ति पा सकते है।
अन्त काल रघुबर पुर जाई |
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ||
अर्थ – अंतकाल यानि मृत्यु के बाद आपके भक्त बैकुंठ को जाते है ,
और वहाँ नया जन्म लेकर हरी भक्त कहलाते है।
और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ||
अर्थ – हे हनुमान , आपके भक्तजनो को किसी और देवता का ध्यान लगाने की आवश्यकता नहीं है ,
सिर्फ आपके ध्यान से ही भक्त सभी सुखो को प्राप्त कर लेता है।
संकट कटै मिटै सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
अर्थ - भक्तजनो , जो कोई भी महावीर हनुमान का सुमिरन करता है ,
प्रभु उसके सभी कष्टों और पीड़ाओं का नाश कर देते है।
जय जय जय हनुमान गोसाईं |
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ||
अर्थ – प्रभु हनुमान , आपकी सदा ही जय हो , जय हो , जय हो ,
आप मुझ पर एक गुरु की भाँती सदा ही कृपा बनाये रखना।
जो सत बार पाठ कर कोई |
छूटहि बन्दि महा सुख होई ||
अर्थ – हे पवनपुत्र , जो भी हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा ,
वह जगत के सभी बंधनो से छूट जाएगा और उसे महासुख की प्राप्ति होगी।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
अर्थ – जो नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करता है ,
वह स्वयं महादेव को भी सिद्ध यानि प्राप्त कर लेता है।
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ||
अर्थ – यहाँ तुलसीदास जी कहा रहे है , की प्रभु मै भी हरी का चेला यानि शिष्य हूँ ,
आप मेरे हृदय में भी निवास कीजिये , आपकी कृपा होगी।
दोहा
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||
अर्थ - हे पवनपुत्र , संकट को हरने वाले , आपका मंगल करने वाला मूर्ति रूप है ,
देवताओ के देवता , श्री हनुमान आप श्री राम , माँ सीता और लक्ष्मण जी के साथ हमारे हृदय में निवास कीजिये।
|| समाप्त ||
आप इसे भी पड़े :-
FAQ :-
1. हनुमान चालीसा का मंत्र क्या है?
( Hanuman chalisa ka mantra kya hai ?)
उत्तर - हनुमान चालीसा का मंत्र , चालीसा की शुरुवात में ही बोलै जाता है , जोकि इस प्रकार हुई -
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
2. सात बार हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?
(Saat baar Hanuman chalisa padne se kya
hota hai ?)
उत्तर - वैसे तो हनुमान चालीसा के जाप से भक्तो के सभी मनोरथ पूरे हो जाते है , लेकिन अगर कोई भक्त किसी विशेष मनोरथ को लेकर यह विचार करता है की वह अगले सात दिनों तक पूरे नियम और विधान के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करेगा तो वह अपनी किसी भी विशेष मनोकामना को पूर्ण कर सकता है।
3. हनुमान चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
( Hanuman
chalisa ka path kab karna chahiye ? )
उत्तर - वैसे तो हनुमान चालीसा का पाठ हम कभी कर सकते है , चाहे सुबह हो या शाम , या कोई सा भी दिन हो। हनुमान चालीसा का विशेष फल हम को अवश्य ही प्राप्त होगा। लेकिन मंगलवार का दिन हनुमान चालीसा के पाठ के लिए विशेष माना जाता है, क्योंकि यह हमारे हनुमान जी का दिन हैं।
FAQ :-
1. हनुमान चालीसा का मंत्र क्या है?
( Hanuman chalisa ka mantra kya hai ?)
उत्तर - हनुमान चालीसा का मंत्र , चालीसा की शुरुवात में ही बोलै जाता है , जोकि इस प्रकार हुई -
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
2. सात बार हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?
(Saat baar Hanuman chalisa padne se kya hota hai ?)
उत्तर - वैसे तो हनुमान चालीसा के जाप से भक्तो के सभी मनोरथ पूरे हो जाते है , लेकिन अगर कोई भक्त किसी विशेष मनोरथ को लेकर यह विचार करता है की वह अगले सात दिनों तक पूरे नियम और विधान के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करेगा तो वह अपनी किसी भी विशेष मनोकामना को पूर्ण कर सकता है।
3. हनुमान चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
( Hanuman chalisa ka path kab karna chahiye ? )
उत्तर - वैसे तो हनुमान चालीसा का पाठ हम कभी कर सकते है , चाहे सुबह हो या शाम , या कोई सा भी दिन हो। हनुमान चालीसा का विशेष फल हम को अवश्य ही प्राप्त होगा। लेकिन मंगलवार का दिन हनुमान चालीसा के पाठ के लिए विशेष माना जाता है, क्योंकि यह हमारे हनुमान जी का दिन हैं।
धर्म ध्यान की विशेष श्रेणियां :-
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