Santoshi maa chalisa | सन्तोषी माता चालीसा

 आज  हम माँ संतोषी के Santoshi maa chalisa, mantra और vidhi का पठन करेंगे , 

इस लेख में हम जानेंगे की कैसे संतोषी माँ का गुणगान करने से भक्तो के सभी कष्ट समाप्त हो जाते है।  

सन्तोषी माता चालीसा - Santoshi maa chalisa

Santoshi maa chalisa
Santoshi maa chalisa


सन्तोषी माता चालीसा ,मंत्र, लाभ,पूजा विधि - 
Santoshi mata chalisa , mantra, laabh , pooja vidhi :-


धार्मिक पुस्तकों में संतोषी माता को संतुष्टि की देवी कहा जाता है वह भगवान गणेश की पुत्री हैं वह अपने सभी भक्तों के सभी दुखों व समस्याओं का नाश करती हैं और उन्हें समृद्धि और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देती हैं।

बहुत बार यह पूछा जाता है कि क्या संतोषी माता दुर्गा का रूप हैं, जी हाँ संतोषी माता को देवी दुर्गा का सबसे शांत, कोमल, शुद्ध और दयालु रूप माना गया है। वह कमल पर विराजमान है जो दर्शाता है।

अपने सवारथ और अपने हित मे सोचने वाले लोग ,भ्रष्टाचार से भरी इस दुनिया में भी संतुष्टि की देवी अभी भी अपने भक्त के दिलों में मौजूद है वह दूध से भरे समुद्र में खिले हुए कमल पर निवास करती है जो उसकी पवित्रता का प्रतीक है कि जहाँ हृदय और समर्पण की पवित्रता है वहाँ हमारी संतुष्टि की माँ होगी।

जो भक्त संतोषी माता की पूजा करते है व व्रत करते है तो वह हमें पूर्ण सुख के मार्ग पर ले जाती है एक माँ के रूप में वह सब कुछ जानती है कि उसके बच्चों के लिए सबसे अच्छा क्या है।

संतोषी माता के नाम का अर्थ
Santoshi mata name meaning :-


संतोषी शब्द का अर्थ होता है“संतुष्ट या खुश माँ। इसलिए, संतोषी माता का अर्थ है “खुशी की माँ या देवी”। जब कोई मनुष्य ख़ुशी तथा संतुष्टि के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है तो जीवन में खुशहाली आती है |


संतोषी मां महामंत्र:-

  • जय माँ संतोषिये देवी नमो नमः

  • श्री संतोषी देव्व्ये नमः

  • ॐ श्री गजोदेवोपुत्रिया नमः

  • ॐ सर्वनिवार्नाये देविभुता नमः

  • ॐ संतोषी महादेव्व्ये नमः

  • ॐ सर्वकाम फलप्रदाय नमः

  • ॐ ललिताये नमः

मंत्र से करें ध्यान:- :-
santoshi maa mantra :

  • ॐ श्री संतोषी महामाया गजानंदम दायिनी शुक्रवार प्रिये देवी नारायणी नमोस्तुते! 

ज्योतिष बताते हैं कि नियमित रूप से व खासतौर पर शुक्रवार के दिन इस मंत्र का जाप करने से निश्चित ही जीवन की सभी परेशानी दूर हो जाती हैं। 


मंत्र जाप के फायदे:-
santoshi maa mantra ke fayde :-


संतोषी मां की कृपा बनाए रखने के लिए सकारात्मकता से भरे इस मंत्र का जाप बहुत लाभदायी है. इससे जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है. इतना ही नहीं, भक्तों में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और जीवन में सफलता के रास्ते पर चलता जाता है.


Santoshi maa chalisa 
सन्तोषी माता चालीसा 


                           ।।दोहा।।


श्री गणपति पद नाय सिर, 
धरि हिय शारदा ध्यान ।

संतोषी माँ की करूं, 
कीरति सकल बखान ।।

 
                            ।।चौपाई।।


जय संतोषी मां जग जननी । 
खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी ।।

गणपति देव तुम्हारे ताता । 
रिद्धि सिद्धि कहलावहं माता ।।

माता-पिता की रहौ दुलारी । 
कीरति केहि विधि कहूं तुम्हारी ।।

क्रीट मुकुट सिर अनुपम भारी । 
कानन कुंडल को छवि न्यारी ।।

सोहत अंग छटा छवि प्यारी । 
सुंदर चीर सुनहरी धारी ।।

आप चतुर्भुज सुघड़ विशाला । 
धारण करहु गले वन माला ।।

निकट है गौ अमित दुलारी । 
करहु मयूर आप असवारी ।।

जानत सबही आप प्रभुताई । 
सुर नर मुनि सब करहिं बड़ाई ।।

तुम्हरे दरश करत क्षण माई । 
दुख दरिद्र सब जाय नसाई ।।

वेद पुराण रहे यश गाई । 
करहु भक्त की आप सहाई ।।

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शिव चालीसा पाठ


ब्रह्मा ढ़िंग सरस्वती कहाई । 
लक्ष्मी रूप विष्णु ढिंग आई ।।

शिव ढिंग गिरजा रूप बिराजी ।
 महिमा तीनों लोक में गाजी ।।

शक्ति रूप प्रगटी जन जानी । 
रुद्र रूप भई मात भवानी ।।

दुष्ट दलन हित प्रगटी काली । 
जगमग ज्योति प्रचंड निराली ।।

चण्ड मुण्ड महिषासुर मारे । 
शुम्भ निशुम्भ असुर हनि डारे ।।

महिमा वेद पुरानन बरनी । 
निज भक्तन के संकट हरनी ।।

रूप शारदा हंस मोहिनी । 
निरंकार साकार दाहिनी ।।

प्रगटाई चहुंदिश निज माया । 
कण-कण में है तेज समाया ।।

पृथ्वी सूर्य चंद्र अरू तारे । 
तव इंगित क्रमबद्ध हैं सारे ।।

पालन पोषण तुमहीं करता । 
क्षण भंगुर में प्राण हरता ।।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावैं । 
शेष महेश सदा मन लावैं ।।

मनोकामना पूरण करनी । 
पाप काटनी भव भय तरनी ।।

चित्त लगाय तुम्हें जो ध्याता । 
सो नर सुख सम्पत्ति है पाता ।।

बन्ध्या नारि तुमहिं जो ध्यावैं । 
पुत्र पुष्प लता सम वह पावैं ।।

पति वियोगी अति व्याकुल नारी । 
तुम वियोग अति व्याकुल यारी ।।

कन्या जो कोई तुमको ध्यावै । 
अपना मनवांछित वर पावै ।।


शीलवान गुणवान हो मैया । 
अपने जन की नाव खिवैया ।।

विधि पूर्वक व्रत जो कोई करहीं । 
ताहि अमित सुख सम्पत्ति भरहीं ।।

गुड़ और चना भोग तोहि भावै । 
सेवा करै सो आनंद पावै ।।

श्रद्धा युक्त ध्यान जो धरहीं । 
सो नर निश्चय भव सों तरहीं ।।

उद्यापन जो करहि तुम्हारा । 
ताको सहज करहु निस्तारा ।।

नारि सुहागिन व्रत जो करती । 
सुख सम्पत्ति सों गोदी भरती ।।

सो सुमिरन जैसी मन भावा । 
सो नर वैसो ही फल पावा ।।

सात शुक्र जो ब्रत मन धारे । 
ताके पूर्ण मनोरथ सारे ।।

सेवा करहि भक्ति युत जोई । 
ताको दूर दरिद्र दुख होई ।।

जो जन शरण माता तेरी आवै । 
ताके क्षण में काज बनावै ।।

जय जय जय अम्बे कल्यानी । 
कृपा करौ मोरी महारानी ।।

जो कोई पढ़ै मात चालीसा । 
तापे करहिं कृपा जगदीशा ।।

नित प्रति पाठ करै इक बारा । 
सो नर रहै तुम्हारा प्यारा ।।
नाम लेत ब्याधा सब भागे । 
रोग दोष कबहूं नहीं लागे ।।


                     ।।दोहा।।


संतोषी मां के सदा बन्दहुं पग निश वास ।

पूर्ण मनोरथ हों सकल मात हरौ भव त्रास ।।


संतोषी माता व्रत और पूजन विधि :-
santoshi mata ki vrat katha

  • पूजा करने से पूर्व जल से भरे पात्र के ऊपर एक कटोरी में गुड़ और भुने हुए चने रखें।
  • दीपक जलाएं और व्रत कथा कहते समय हाथों में गुड़ और भुने हुए चने रखें।
  • दीपक के आगे या जल के पात्र को सामने रख कर कथा प्रारंभ करें तथा कथा पूरी होने पर आरती करें और प्रसाद का भोग लगाएं।
  • संतोषी माता के अनुष्ठानों के दौरान, पहली प्रार्थना संतोषी माता के पिता भगवान गणेश और माता रिद्धि-सिद्धि के लिए करनी चाहिए।
  • संतोषी माता आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं और व्यवसाय में सफलता लाती हैं।
  • देवी से संतान, व्यापार में लाभ, आमदनी में वृद्धि, भावनाओं और दुखों को दूर करने की प्रार्थना करें।
         इस दिन पूरे दिन भोजन ग्रहण न करें।
  • 16 शुक्रवार तक नियम पूर्वक व्रत करें और शुक्रवार को व्रत के दौरान फलाहार ग्रहण करें।
  • भोजन में घर में खट्टी खाद्य सामग्रियों का उपभोग न करें और परिवार जनों को भी खट्टे भोजन से दूर रहना चाहिए। 

व्रत का महत्त्व :-

शुक्रवार के उपवास के स्पष्ट कारणों में से एक है कि उस दिन संतोषी माता का जन्म हुआ था कुछ लोग संतोषी माता को शक्ति या शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजते हैं जो उनके सभी दुख और चिंताओं को दूर कर सकती हैं।

इसी तरह, अन्य लोग अपने जीवन से बाधाओं को दूर करने, अपने बच्चों को स्वस्थ रखने और एक खुशहाल पारिवारिक जीवन जीने के लिए शुक्रवार का उपवास करते हैं. शुक्रवार को उपवास करने और इसी दिन संतोषी मां की पूजा करने की अवधारणा के पीछे एक सच्ची कहानी है।

किंवदंतियों के अनुसार, भगवान गणेश के पुत्र, शुभ और लाभ, रक्षा बंधन के रिवाज के महत्व को समझना चाहते थे और वे एक छोटी बहन की इच्छा रखते थे. इस प्रकार, भगवान गणेश ने संतोषी माता को बनाया. माता संतोषी ने अपने बड़े भाइयों की इच्छाओं को पूरा किया, इसलिए उनका नाम संतोषी रखा गया।

                                                                  समाप्त 



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