भक्तो आज हम khatu shyam baba की आराधना करने वाले है,
आज की आराधना में भक्ति में खो जाएंगे , तो चलिए चलते है इस अलौकिक यात्रा पर :-
Khatu Shyam Baba - खाटू श्याम बाबा
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Khatu Shyam Baba |
khatu shyam mandir - खाटू श्याम मंदिर
खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा हाथ है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर है स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं और रंक को भी राजा बना सकते हैं।
कभी कभी जिंदगी कई बार
ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है। जहां से सारे रास्ते ही, बंद नजर आते हैं। ऐसे लगता है। जैसे हम मझदार में फस गए हो
और कुछ भी समझ ही नहीं आता कि आखिर करें, तो क्या करें।, न कोई हमारे दर्द को समझता है और न किसी को हमारी परवाह होती
है। जिनसे साथ देने की उम्मीद होती है, वही लोग सबसे पहले, हमारा साथ छोड़ देते हैं। समझ ही नहीं आता आखिर हमने ऐसी
कौन-सी गलती की है जो जिंदगी हमें इतना परेशान कर रही है।
जिंदगी के इम्तहान
देते-देते, थक चुके हैं, हम चाह कर
भी, दुखों से छूट नहीं पाते हैं। अपनी पूरी ताकत, अपनी पूरी बुद्धि लगाने के बाद भी। हमें हमारी
परेशानियों का हल नहीं मिलता। लेकिन ऐसे में, हमेशा याद रखना। कोई आपका साथ दे या न दे, लेकिन वह
परमात्मा, हमेशा आपके हर सुख-दुख
में, आपके साथ खड़ा रहता है।
चाहे सब आपको अकेला छोड़ कर चले जाएं पर वो कभी अकेला नहीं छोड़ सकता।
जिन लोगों का परमात्मा में विश्वास होता है, वह
बड़े से बड़े संकट से व बड़ी से बड़ी मुसीबत से भी बाहर आ जाते हैं। सारा खेल,
आपके विश्वास का ही है, मानो तो मैं गंगा मां
हूं न मानो तो बहता पानी। आपको ऐसी हजारों-लाखों मिसाल मिल जाएंगी।, जिनके विश्वास
ने, उनकी रक्षा की है। जिनकी
प्रार्थना ने, उनकी जिंदगी में चमत्कार
किया है, ऐसे ही जब भी कभी, आपकी जिंदगी में
मुश्किलें आए, कोई मुसीबत की घड़ी आ जाए।
जब आपको लगे, आपकी शक्ति,
आपका सामर्थ्य, आपकी बुद्धि कुछ भी काम नहीं कर रही, आप अब फंस गए हैं। तो
ऐसी परिस्थिति में, अगर आप परमात्मा पर
विश्वास करते हैं, अपनी प्रार्थना पर विश्वास करते हैं। तो यकीन मानिए, आपकी वह
प्रार्थना व विश्वास, आपको बड़े से बड़े संकट
से भी बाहर निकाल कर ले आए
Khatu shyam baba Story in Hindi
खाटू श्याम जी की जीवन कथा
महाभारत के समय कौरवों ने
पांडवो के साथ अनेक छल किए। लाक्षागृह की घटना के बाद पांडव अपनी माता के साथ वन
में रहने लगे और कुछ समय में भीम ने माता कुंती की आज्ञा से हिडिंबा नामक राक्षसी
से विवाह कर लिया। शादी के बाद हिडिंबा ने पुत्र को जन्म दिया जिसे घटोत्कच के नाम
से जाना जाने लगा। घटोत्कच बहुत अधिक बलशाली व शक्तिशाली था, लेकिन उससे भी अधिक शक्तिशाली था उसका पुत्र
बर्बरीक।
बर्बरीक देवी का परम भक्त
था और उनकी उपासना करता था, बर्बरीक की साधना से प्रसन्न होकर देवी ने उसे वरदान
दिया। इस वरदान में उसे तीन अलौकिक बाण मिले जो लक्ष्य को भेदकर पुनः लौट आते थे। ऐसे दिव्य और अलौकिक बाण प्राप्त कर बर्बरीक अपराजेय हो गया था।
जब महाभारत के युद्ध की
घोषणा हुई तो बर्बरीक को भी युद्ध देखने की इच्छा हुई, जिस कारण वह कुरुक्षेत्र पहुंच गया।
उनकी इसी विशेषता के कारण हमारे खाटू श्याम जी को हारे का सहारा कहाँ जाता है। बर्बरीक को युद्ध में जाने से रोकने के लिए श्री कृष्ण ने गरीब ब्राह्मण का वेश बनाया और फिर बर्बरीक के सामने गए। एक अनजान की भांति श्री कृष्ण ने बर्बरीक से प्रश्न किया तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र की ओर क्यों जा रहे हो? तब जवाब में बर्बरीक ने कहा की वह एक दानवीर योद्धा है, जो अपने एक बाण से महाभारत के युद्ध का परिणाम तय कर सकता है।
यह सुनकर श्री कृष्ण ने
उसकी परीक्षा लेने का सोचा और कहा - पीपल के इस वृक्ष के सभी पत्तों को भेदकर
बताओ। तब बर्बरीक के एक बाण से पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक
पत्ता बच गया था जो की भगवान के पैर के नीचे था, इसलिए बाण उनके पैर पर ही ठहर गया।
बर्बरीक के इस अद्भुत शौर्य को देखकर श्री कृष्ण हैरान हो गए। तब भगवान ने कुछ सोचा और बर्बरीक से दान देने को कहा। बर्बरीक ने पूछा की आपको क्या दान चाहिए, तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। यह सुनकर बर्बरीक समझ गया था की यह कोई सामान्य ब्राह्मण नहीं है।, और उनसे उनका वास्तविक रूप बताने के लिए कहा।
तब श्री कृष्ण ने अपना वास्तविक रूप दिखाया और फिर बर्बरीक प्रसन्नता के साथ शीश दान में देने को तैयार हो गया।
फाल्गुन माह के कृष्ण
पक्ष की द्वादशी के दिन बर्बरीक ने स्वयं अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया,
लेकिन उससे पहले युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त
की। तब श्री कृष्ण ने उनकी यह इच्छा पूरी करने के लिए एक ऊंचे स्थान पर उसका शीश
रख दिया ताकि वह युद्ध की सभी गतिविधियों का अवलोकन कर सके।
महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला जिसके बाद पांडवो की जीत हुई,
जीतने के बाद उन पांचों में युद्ध की जीत का
श्रेय लेने हेतु बहस हुई। तब भगवान उन सभी को बर्बरीक के पास निर्णय के लिए ले गए,
चूँकि बर्बरीक ने युद्ध के सभी पहलुओं को देखा
था तो वह इस विषय पर सही निर्णय लेने में सक्षम था। तब बर्बरीक के शीश ने बताया कि
वे भगवान श्री कृष्ण की वजह से ही यह युद्ध जीते है।
यह बात सुनकर श्री कृष्ण
बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बर्बरीक के शीश को वरदान दिया की वे कलयुग में उनके
श्याम नाम से पूजे जाएंगे। उन्हें भक्त द्वारा स्मरण करने मात्र से उनका कल्याण
होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी।
Story of Khatu Shyam Baba :
खाटूश्याम बाबा का इतिहास :-
राजस्थान के सीकर जिले
में स्थित बाबा खाटू श्याम की महिमा बहुत अधिक बताई जाती है। भगवान कृष्ण के अवतार
का यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।जितने अद्वितीय बाबा खाटू
श्याम जी है उतनी ही रोचक उनके जीवन की कथा है। बताया जाता है की इस मंदिर का
इतिहास महाभारत के युद्ध से सम्बंधित है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माना जाता है की
खाटूश्याम जी भगवान कृष्ण के कलयुग अवतार ही है। खाटू श्याम जी मंदिर में दूर-दूर
से श्रद्धालु दर्शन को आते है और बाबा से मनवांछित फल की कामना करते है ऐसे में आज
हम आपको इस लेख के माध्यम से बाबा खाटू श्याम जी की जीवन कथा और उनके मंदिर से
जुड़े इतिहास के बारे में बताने जा रहे है।
कौन है खाटू श्याम बाबा :-
Who is Khatushyam Ji :-
बाबा खाटू श्याम घटोत्कच
के पुत्र और पांडवों में महाबली भीम के पौत्र थे, जिनका नाम बर्बरिक था। धार्मिक कथा के अनुसार माना जाता है
की भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरिक की शक्तियों और गुणों से प्रभावित होकर उन्हें यह
वरदान दिया की वह कलियुग में उनके नाम से पूजे जाएं
खाटू बाबा की आरती - khatu shyam ji ki aarti
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
रतन जड़ित सिंहासन,
सिर पर चंवर ढुरे ।
तन केसरिया बागो,
कुण्डल श्रवण पड़े ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
गल पुष्पों की माला,
सिर पार मुकुट धरे ।
खेवत धूप अग्नि पर,
दीपक ज्योति जले ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
मोदक खीर चूरमा,
सुवरण थाल भरे ।
सेवक भोग लगावत,
सेवा नित्य करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
झांझ कटोरा और घडियावल,
शंख मृदंग घुरे ।
भक्त आरती गावे,
जय-जयकार करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
जो ध्यावे फल पावे,
सब दुःख से उबरे ।
सेवक जन निज मुख से,
श्री श्याम-श्याम उचरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
श्री श्याम बिहारी जी की
आरती,
जो कोई नर गावे ।
कहत भक्त-जन,
मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
जय श्री श्याम हरे,
बाबा जी श्री श्याम हरे ।
निज भक्तों के तुमने,
पूरण काज करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
FAQ :-
1. खाटू श्याम जी का मतलब क्या है?
खाटू श्याम जी कृष्ण के पर्याय हैं और इसलिए उसी रूप में पूजे जाते हैं। खाटू श्याम जी मंदिर खाटूश्यामजी मंदिर भारत में राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में है। खाटूश्याम मंदिर में बर्बरीक या खाटूश्याम जी का चमत्कारिक रूप से फिर से खोजा गया सिर है।
2. खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचे?
खाटू श्याम मंदिर सड़क और ट्रेन के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन रींगस जंक्शन (RGS) है, जो मंदिर से लगभग 17 किमी दूर है। स्टेशन के ठीक बाहर आपको मंदिर ले जाने के लिए कई कैब और जीप (निजी या साझा) मिलती हैं|
3. महाभारत में खाटू श्याम की कहानी क्या है?
यह वही दिन है जब महाभारत युद्ध से पहले बर्बरीक ने कृष्ण को अपना सिर अर्पित किया था। किंवदंती के कुछ संस्करणों में, यह रूप सिंह चौहान की रानी - नर्मदा कंवर थीं, जिन्होंने खाटू श्याम का सपना देखा था। अद्वितीय काले पत्थर की एक पत्थर की मूर्ति भी मिली थी। यह वह मूर्ति है जिसकी आज मुख्य मंदिर में पूजा की जाती है।
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