Sai baba vrat katha aur pooja vidhi | साई बाबा व्रत कथा और पूजा विधि

 साई बाबा को समर्पित इस लेख में हमने साई बाबा की व्रत कथा ( Sai baba vrat katha )  , साई बाबा की आरती ( Sai baba ki aarti ) और साई बाबा की पूजा विधि ( Sai baba ki pooja vidhi ) को शामिल किया है।  

आशा है की आपको हमरायेह प्रयास अवश्य पसंद आएगा , आप पर सदैव साईं बाबा की कृपा बानी रहे , जय साईं राम,,,,

Sai baba vrat katha - साई बाबा व्रत कथा

 

Sai baba vrat katha
Sai baba vrat katha




Sai baba - साई बाबा

शिरड़ी के साईं बाबा की जो भी मन से पूजा करता है या फिर मन से याद करता है, साई बाबा उनकी झोली खुशियों से भर देते हैं आज के इस युग में साईं बाबा के बहुत बड़ी संख्या में भक्त हैं गुरुवार का दिन साईं बाबा को समर्पित है जो भी व्यक्ति अपनी  परेशनियों के साथ आता है साई बाबा उसकी सभी परेशानियों को समाप्त करते है और अपनी सभी मनोकामना की पूर्ति के लिए आप इस दिन व्रत भी रख सकते हैं। 

          साईं बाबा की हर कोई पूजा करता है, चाहें वो किसी भी जाति या धर्म से क्यों ना जुड़ा हो, साई बाबा हर किसी की मनोकामना पूरी करते हैं लेकिन गुरुवार के दिन व्रत रखने वाले जातकों पर उनकी विशेष कृपा बनी रहती है अगर आप साईं बाबा की विशेष कृपा बनाए रखना चाहते हैं इस लिए आज मैं आपको कथा और पूजन विधि के बारे में बताने जा रही हूं इस प्रकार कथा और पूजन विधि करने से आप साई बाबा की कृपा प्राप्त कर सकते है।


 

साई बाबा की पूजा करने की विधि :-
Sai baba ki pooja karne vki vidhi :-

साई बाबा का हमेशा से एक ही मूल मंत्र रहा है और वह है- सबका मालिक एक। साईं बाबा का व्रत करना बहुत ही आसान है आप गुरुवार के दिन सुबह सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले साईं बाबा का ध्यान करें और व्रत का संकल्प ले

          इसके बाद उनकी मूर्ति या तस्वीर पर गंगाजल के छीटें देकर उनका पीला कपड़ा अर्पित करें फिर फूलो की माला पहनाये, रोली और अक्षत को समर्पित करे साई बाबा को  धूप और घी का दीपक जलाये फिर हाथ मे अक्षत व पीले फूल रखकर उनकी कथा सुनें।


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      इसके बाद आप बेसन के लड्डू या फिर अन्य पीली मिठाई का भोग लगा सकते हैं अब उनकी आरती उतारें और गाएं इसके बाद पीले फूल उनको अर्पित करें इसके बाद अपनी मनोकामना बाबा से कहें और प्रसाद सभी में वितरण कर दें अगर संभव हो सके तो दान जरूर करें।


साईं बाबा के व्रत के नियम :-
Sai baba ke vrat ke niyam :-

  • इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष और बच्चे कर सकते हैं
  •  
  • यह व्रत किसी भी गुरुवार से साईं बाबा का नाम लेकर शुरू किया जा सकता है
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  •  जिस कार्य के लिए व्रत किया गया हो, उसके लिए सांई बाबा से सच्चे हृदय से हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए।
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  • सुबह या शाम को किसी भी आसन पर पीला कपड़ा बिछाकर सांई बाबा का चित्र रखकर स्वच्छ पानी से पोंछकर चंदन या कुंकुम का तिलक लगाना चाहिए
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  • अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं बाबा की व्रत कथा पढ़नी चाहिए और सांई बाबा का स्मरण करना चाहिए तथा प्रसाद बांटना चाहिए प्रसाद में कोई फलाहार या मिठाई बांटी जा सकती है।
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  • यह व्रत फलाहार से भी किया जा सकता है अथवा एक समय भोजन करके किया जा सकता है बिल्कुल भूखे प्यासे रहकर उपवास न करें।
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  • नौ गुरुवार को हो सके तो सांई बाबा के मंदिर जाकर दर्शन करें
  •  
  • अगर बाबा के मंदिर में न जा पाएँ और नजदीक मंदिर न हो तो घर पर ही श्रद्धापूर्वक साईं बाबा की पूजा कर सकते है।
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  • गांव से बाहर जाना हो तो इस व्रत को चालू रखा जा सकता है।
  •  
  • व्रत के समय स्त्रियों को मासिक की समस्या आए अथवा किसी कारण से व्रत न हो पाये तो उस गुरुवार को नौ गुरुवार की गिनती में न गिनें और उस गुरुवार के बदले अन्य गुरुवार करके नौवें गुरुवार को उद्यापन करें।

 

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साई बाबा व्रत कथा :-
Sai baba vrat katha :-

 

कोकिला नाम की महिला और उनके पति महेशभाई गुजरात के एक शहर में रहते थे। वे दोनों एक-दुसरे के साथ प्रेमभाव से रहते थे। लेकिन महेशभाई का स्वाभाव झगड़ालू था। वहीं कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर हमेशा विश्वास रखती थीं।

       झगड़ालू स्वाभाव के कारण उनके पति का धंधा-रोजगार ठप होने लगा और दूसरा कमाई को कोई जरिया नहीं था। रोजगार ठप हो जाने की वजह से महेशभाई अब दिनभर घर पर ही रहने लगे और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली। खाली रहने के कारण उनका स्वभाव भी अधिक चिड़चिड़ा हो गया।

       एक दिन दोपहर का समय था। एक बुजुर्ग इंसान दरवाजे पर आकार खड़े हो गए और उन्होंने दल-चावल की मांग की। धार्मिक स्वभाव की कोकिला बहन ने दल-चावल दिए और दोनों हाथों से उस बुजुर्ग इंसान को प्रणाम किया। बुजुर्ग ने कहा साईं सुखी रखे, तब कोकिला बहन ने कहा बाबा सुख मेरी किस्मत में नहीं है और फिर उन्होंने अपने बारे में सभी जानकारी दी।

        तब बुजुर्ग इंसान ने कोकिला बहन को साईं बाबा के व्रत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत के करने से सभी मनोकामना पूरी होगी और बाबा का आशीर्वाद हमेशा उसके घर पर बना रहेगा। बुजुर्ग की बात मानकर कोकिला बहन ने 9 गुरुवार व्रत किया। जैसे बाबा ने बताया सभी कार्य किए। उसके थोड़े समय के बाद घर में सुख समृधि बढ़ गई। दोनो पति-पत्नी सुख-शांति से रहने लगे। उनका धंधा-रोजगार फिर से चालू हो गया और महेशभाई का स्वाभाव भी बदल गया।

        एक दिन कोकिला बहन के जेठ-जेठानी सूरत से आए। बातों-बातों में उन्होंने बताया कि उनके बच्चें पढ़ाई-लिखाई में ध्यान नहीं देते हैं, जिसकी वजह से वह परिक्षा में फेल भी हो जाते हैं। तब कोकिला बहन ने 9 गुरुवार साईं बाबा का व्रत रखने को कहा और उनकी महिमा के बारे में बताया। साईं बाबा के भक्ति से बच्चे अच्छी तरह पढ़ाई-लिखाई कर पाएंगे लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना बहुत जरूरी है।

        सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया कि उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे है और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते है। उन्होंने भी व्रत किया था और व्रत की किताबें जेठ के ऑफिस में दी थी। फिर एक के बाद ऐसे कई अद्भुत चमत्कार हुए। हे साईं बाबा आप जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते है, वैसे हम पर भी होना और अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखना।

 

 


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साई बाबा आरती लिरिक्स  – Sai baba aarti lyrics

 

ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।

भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥

शिरडी में अवतरे, ॐ जय साईं हरे॥ ॐ जय…॥

 

दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।

फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥

कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥

 

काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।

सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥

भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥

 

हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।

रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥

अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥

 

भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।

गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥

अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥

 

ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।

शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे॥

 

श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥

 

 

साईं बाबा व्रत की उद्यापन विधि :-
Sai baba vrrat ki udyapan vidhi :-


साईं बाबा के 9वें व्रत के दिन पूजा करने के उपरान्त पूजन में हुई जाने-अनजाने भूल  के लिए क्षमा याचना करनी चाहिए उसके बादव्रत का उद्यापन  करे  इस दिन कम से कम पांच गरीब व्यक्तियों को भोजन कराकर यथाशिक्त दान दें 

 

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श्री सांई बाबा के 11 वचन  हिंदी अर्थ सहित :-

 

1.  “जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा”

 

साईं बाबा की लीला स्थान शिरडी ही रही है इसलिए साईं कहते हैं कि शिरडी आने मात्र से ही सभी समस्याएं टल जाएंगी जो लोग शिरडी नहीं जा सकते उनके लिए साईं मंदिर जाना भी पर्याप्त होगा

 

2.  “चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर”

 

श्री साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी पर पैर रखते ही भक्त के दुःख दूर हो जाते है साईं मंदिरों में प्रतीकात्मक समाधि के दर्शन से भी दुःख दूर हो जाते हैं, लेकिन मन में श्रद्धा भाव का होना बहुत जरूरी होता है।

 

 

3.  “त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा”

 

श्री साईं बाबा कहते हैं कि मैं शरीर के अंदर भले ही ना रहूं लेकिन जब भी मेरे भक्त मुझे पुकारेगा, मैं दौड़ के आऊंगा और हर प्रकार से अपने भक्त की सहायता करने के लिए सदा ही तैयार रहूँगा।

 

4.  “मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस”

 

हो सकता है मेरे न रहने पर भक्त का विश्वास कमजोर पड़ने लगे वह अकेलापन और असहाय महसूस करने लगे लेकिन भक्त को विश्वास रखना चाहिए कि समाधि से की गई हर प्रार्थना पूर्ण होगी।

 

5.  “मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो”

 

श्री साईं बाबा कहते हैं कि मैं केवल शरीर नहीं हूं मैं अजर-अमर अविनाशी परमात्मा हूं, इसलिए हमेशा जीवित रहूंगा यह बात भक्ति और प्रेम से कोई भी भक्त अनुभव कर सकता है।

 

6.  “ मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए”

 

जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा और भाव से मेरी शरण में आयेगा उसकी सभी मनोकामना पूरी हुई है।

 

7.  “जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का”

 

जो व्यक्ति मुझे जिस भाव से देखता है मैं उसे वैसा ही दिखता हूं यही नहीं बल्कि जिस भाव से कामना करता है उसी भाव से मैं उस व्यक्ति की कामना पूर्ण करता हूं।

 

 

8.  “भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा.”

 

जो व्यक्ति पूर्ण रूप से मुझ पर समर्पित होगा उसके जीवन के हर भार को उठाऊंगा और उसके हर दायित्व का निर्वहन करूंगा

 

9.  “आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर”

 

जो भक्त श्रद्धा भाव से मुझ पर विश्वास करेगा और सहायता मांगेगा मैं उसकी सहायता जरूर करूंगा।

 

10.  “मुझमें लीन वचन मन काया , उसका ऋण न कभी चुकाया”

 

जो भक्त मन, वचन और कर्म से मुझ में लीन रहता है, मैं उसका हमेशा ऋणी रहता हूं उस भक्त के जीवन की सारी जिम्मेदारी मेरी है।

 

 

11.  “धन्य धन्य व भक्त अनन्य , मेरी शरण तज जिसे न अन्य.'लक”

 

श्री साईं बाबा कहते हैं कि मेरे वो भक्त धन्य हैं जो अन्य भाव से मेरी भक्ति में लीन हैं ऐसे ही भक्त वास्तव में भक्त हैं।

 

FAQ :-

 

प्रश्न :- साईं बाबा का व्रत कैसे रखते हैं?

उत्तर :-  वीरवार को सवेरे उठने के बाद , नहा - धोकर आप साई बाबा के व्रत का सकल्प करे।  इसके बाद साई बाबा की मूर्ती या तस्वीर को स्थापित करे , उन्हें पीले वस्त्र अर्पण कर।  पूजा सामग्री और मिठाई से साई बाबा की अर्चना करे। 

 

प्रश्न :- साईं बाबा के कितने व्रत रखने चाहिए?

उत्तर :-  यह व्रत बहुत ही चमत्कारी है 9 या 11 गुरुवार विधि-पूर्वक करने से निश्चित ही इक्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है।

 

प्रश्न :- साईं बाबा के व्रत करने से क्या फल मिलता है?

उत्तर :-  वैसे तो हर परिस्थिति में साई बाबा की कृपा अपने भक्तो [पर बानी रहती है, लेकिन अगर कोई भक्त साई बाबा के व्रत धारण करता है तो उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होतो है। 

 

प्रश्न :-  साईं बाबा का प्रसाद क्या होता है?

उत्तर :-  हमारे साई बाबा बहुत ही साधारण थे, वह अपने बच्चो की छोटी छोटी सेवाओं से ही प्रसन्न हो जाते है , आप प्रसाद के रूप में खिचड़ी बना सकते है। साई बाबा को खिचड़ी का भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में बाँट ले , सिर्फ इतना करने से भी साई बाबा की कृपा बरसने लगती है। 

 

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