Banke Bihari Story | जानिए बांके बिहारी की अनसुनी कहानिया | DharmDhyan

वृंदावन(vrindavan) भारत की पावन भूमियों में से एक है श्री वृंदावन धाम भगवान श्री कृष्ण जी की नटखट बाल लीलाओं का साक्षात जीवंत प्रमाण माना जाता है|
वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा(Mathura) जिले में बसा हुआ बहुत ही पावन नगर है वृंदावन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु, भगवान श्री कृष्ण के दर्शन के लिए आते हैं।

 वृंदावन में श्री कृष्ण जी के बहुत सारे छोटे बड़े मंदिर हैं जो अपनी बनावट और शैली के लिए बहुत प्रसिद्ध है वृंदावन के कण-कण में भगवान श्री कृष्ण का वास माना जाता है|

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर(banke bihari) का इतिहास चमत्कारों से भरा हुआ है तो चलिए जानते हैं, बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें में|


बांके बिहारी की अनसुनी कहानिया 

Banke Bihari Story 



Banke bihari




बाके बिहारी जी की जमीन से प्रकट हुई थी मूर्ति :- 


पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं. कि वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर का इतिहास काफी रूमंचक रहा है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, स्वामी हरिदास भगवान श्री कृष्ण के अन्य भक्त थे वह भगवान श्री कृष्ण की बड़े प्रेम भाव से निधिवन में भक्ति किया करते थे उनके तन,मन में केवल भगवान श्रीकृष्ण बसे हुए थे। (banke bihari temple vrindavan)

भगवान श्री कृष्ण ने स्वामी हरिदास की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और निधिवन में काले रंग के पत्थर की मूर्ति के रूप में प्रकट हुए थे कुछ दिन तो स्वामी हरिदास ने निधिवन में ही बांके बिहारी की पूजा की उसके बाद अपने परिजनों की सहायता से बांके बिहारी मंदिर का निर्माण करवाया बांके बिहारी की मूर्ति बहुत ही सुंदर प्रतीत होती हैबाके बिहारी जी का सरूप इतना प्यारा होता है कि उन पर से नजर नही हटती है|


बाके बिहारी जी कथा :-
Banke Bihari Katha :-



एक बार एक कृष्ण भगत स्त्री ने अपने पति को वृंदावन जाने के लिए राजी किया था वह दोनो वृंदावन पहुंचे और बाके बिहारी मंदिर जाकर दर्शन किए थोड़े दिन वो लोग वहा पर रुक गए और रोजाना बाके बिहारी जी के दर्शन किए।

उस स्त्री के पति ने उसको वापस घर चलने को कहा तब उस स्त्री ने बाके बिहारी जी से हाथ जोड़कर प्रार्थना कि ,की वह हमेशा उसके साथ ही रहे फिर वह दोनो पति पत्नी घर जाने को निकल गए। वो लोग रेलवे स्टेशन जाने के लिए घोड़ागाड़ी में बैठ ही रहे थे।

तभी बाके बिहारी जी बालरूप में आकर उन दोनो से विनती करने लगे की मुझे भी अपने साथ ले चलो इस तरफ मंदिर के पुजारी ने मंदिर में से बाके बिहारी जी को गायब देखा और वो वह कृष्ण भक्त स्त्री के प्रेमभाव को समझ गए।

तुरंत ही वह उस घोड़ागाड़ी के पीछे दौड़े और बालक रूप बाके बिहारी जी से प्रार्थना करने लगे तभी वह बालक वहा से गायब हो गया और पुजारी वापस मंदिर लौटकर आये तो भगवान् वही पर थे, फिर भगवान् के दर्शन किये ऐसी घटना होने से पति पत्नी ने संसार को त्याग दिया और बाके बिहारी जी की सेवा में अपना सारे जीवन अर्पणकर दिया ।


बाके बिहारी जी के मंत्र :-
Banke Bihari Ji Ke Mantra :-



"गोकुल नाथाय नमः"

इस आठ अक्षरों वाले श्रीकृष्ण मंत्र का जाप जो भी भक्त करता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।


"श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा"

 इस मंत्र के उच्चारण से श्रीकृष्ण की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है।


"ओम क्लीम कृष्णाय नमः''

 इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य को सफलता और वैभव की प्राप्ति होती है, लेकिन इसे नियम-कायदों के साथ जपना चाहिए. अगर आप किसी भी समस्या में हैं तो इस मंत्र का उपयोग कर सकते हैं।


"ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा" 

यह कोई साधारण मंत्र नहीं बल्कि श्रीकृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र है. अन्य मंत्र शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार 108 बार जाप करने से ही सिद्ध हो जाते हैं लेकिन इस महामंत्र का पांच लाख जाप करने से ही सिद्ध हो पाता है।


"हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे"

यह 16 शब्दों का वैष्णव मंत्र है जो भगवान कृष्ण का सबसे प्रसिद्ध मंत्र है. इस दिव्य मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाता है।


"ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात"

श्रीकृष्ण के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन और मन से सभी दुख दूर हो जाते हैं।


"कृं कृष्णाय नमः" 

यह श्रीकृष्ण का बताया मूलमंत्र है जिसका जाप करने से व्यक्ति को अटका हुआ धन प्राप्त होता है. आप इस मंत्र का उच्चारण अपने दैनिक जीवन में कर सकते हैं।


 कृष्ण जी का बाके बिहारी नाम कैसे पड़ा ?
why krishna called banke bihari ?


श्री हरिदास जी(Shri Haridas Ji), श्री कृष्ण(shri Krishna) के बहुत बड़े भक्त थे। एक समय पर वह हमेशा कृष्ण की भक्ति में लीन रहते और निधिवन में बैठकर अपने राधा कृष्ण के गानों से भगवान को प्रसन्न करने की कोशिश किया करते। उनके संगीत मई भक्ति भाव से भगवान प्रसन्न हो जाते थे और कई बार उनके सामने आ जाते थे।

हरिदास जी के शिष्य ने एक बार उनसे कहा की हमे भी भगवान के दर्शन करने है, तो कृपा करके हमे भी दर्शन का लाभ लेने दे। हरिदास जी इसके बाद फिर से भक्ति में लीन हो गए और फिर कृष्ण और राधा दोनो ही उनको दर्शन देने के लिए प्रकट हुए।

श्री कृष्ण और राधा ने हरिदास के संगीत से प्रसन्न होकर, उनके पास रहने को इच्छा व्यक्त की। तब हरिदास जी ने भगवान को बोला की वह उनको तो लंगोट पहना कर यहां रख लेंगे, परंतु माता राधा के लिए उनके पास कोई आभूषण नहीं है, क्युकी वह केवल एक संत है। ऐसा सुनकर श्री कृष्ण और राधा एक हो गए और एक होकर उनकी प्रतिमा प्रकट हुए और फिर हरिदास जी ने इनका नाम बाके बिहारी रखा।


भगवान को पर्दे में क्यों रखा जाता है?
Bhagwan Ko Parde Mei Kyu Rakha Jata Hei ?


एक बार एक भक्त बाके बिहारी जी के दर्शन के लिए आया था। वह दर्शन करते-करते बहुत समय तक बाके बिहारी जी को निहारता रहा इसीलिए भगवान रिज गए और उन्ही के साथ उनके गांव चले गए यहां पर मंदिर के स्वामी जी को जब पता चला|

 तो वह उनके पीछे गए और बड़ी मुश्किल से बाके बिहारी को वापस लेकर आये। तब से बाके बिहारी के दर्शन के लिए झांकी दर्शन को व्यवस्था की हुई है। झांकी दर्शन में भगवान के सामने थोड़ी थोड़ी देर में पड़दे डाले जाते है, ताकि कोई निरंतर उनको देख ना सके।


बांके बिहारी की मूर्ति कैसे प्रकट हुई?
Banke Bihari Ki Murti Kaise Prakat Hui ?


यह मान्यता है, की बाके बिहारी जी की मूर्ति को किसी इंसान ने बनाया नही है, यह प्रतिमा अपने आप उत्पन्न हुई है कहते है, की श्री हरिदास जी के अन्य भक्ति से प्रसन्न होकर बाके बिहारी जी वृंदावन प्रकट हुए थे।

बांके बिहारी मंदिर में भगवान की काले रंग की मूर्ति है, जो श्री हरिदास जी ने खोजी थी मान्यता है, की इस मूर्ति में राधा और कृष्ण दोनो कि ही छवि दिखाई देती है इसीलिए यहां पे आके जो भक्त दर्शन करते है, उनका जीवन सफल हो जाता है और खुशियों से भर जाता है उनकी सभी परेशानिया दूर हो जाती है।


बांके बिहारी मंदिर का रहस्य?
Banke Bihari Mandir Ka Rahasya ?


यहां पर हर वर्ष मार्गशीष की पंचमी तिथि को बांके बिहारी मंदिर में भगवान बाके बिहारी जी का प्रगटोत्स्व मनाया जाता है। इस मंदिर में साल में सिर्फ एक बार ही बाके बिहारी जी के चरणो के दर्शन होते है। वह दिन होता है, अक्षय तृतीया, जो वैशक मास की तृतीया पे आता है। भगवान के चरणो के दर्शन अत्यंत शुभ माने जाते है।




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